2006 से ही पेड मीडिया वालों को सतलोक आश्रम की गतिविधियों के बारे में और उसके द्वारा बारम्बार न्यायालय की अवमानना की सब जानकारी थी लेकिन चूँकि वे पेड मीडिया हैं - उन्होने कभी आश्रम के अंदर जा कर सच्चाई जानने का कष्ट या जोखिम नहीं उठाया |
लेकिन अब जब उनके मालिकों के दुश्मनों की सरकार आ गयी है - और न्यायालय के आदेश पर पुलिस अपना कर्तव्य निभा रही है - तो पुलिस द्वारा न्यायालय के आदेशपूर्ति के कार्य में बाधा पहुंचाने और उसे विकृत दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर पुलिस और सरकार को बदनाम करने की बदनीयत से पेड मीडिया वाले - कार्यवाही की व्हिडियोग्राफी की मनाही करने के बावजूद पुलिस से हुज्जत करेंगे - उलझेंगे - न्यायालय का आदेश पालन करने वालों से भिड़ेंगे |
देशहित में जो कार्यवाही पूरी होने के पहले तक गुप्त रखी जाये - वो कार्यवाही ठीक से न हो पाये अर्थात देश का भला न हो पाये - इस बदनीयती से जो देशद्रोही लोग मीडिया में घुसपैठ कर गये हैं - उन पर लाठी नहीं बल्कि बंदूक की गोली - और वो भी भृकुटि-मध्य रोपित करने का कानून बनाने की आवश्यकता है और ये लागू होना चाहिए 26 नवंबर 2008 से - जब देशद्रोही पेड मीडिया पुलिस की कार्यवाही को पाकिस्तानियों को दिखा कर उनकी मदद कर रहा था |
वैसे - पेड मीडिया वालों की जांबाजी की दाद (खाज खुजली एक्ज़िमा भी) तो देनी पड़ेगी - आख़िर मालिकों के फेंके गये टुकड़ों का हक अदा करना पेड मीडिया के कायदे के मुताबिक फर्जीयात जो है |

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