भारतीय न्याय तथा प्रबंध में गुण भी ढूंढें indian court and government is good



एक अपराधी को धारावाहिक बमविस्फोटों तथा सामूहिक हत्याकांड में 22 वर्ष तक जेल में रखने के बाद फांसी की सजा मिली। कुछ लोग कह रहे हैं कि न्याय में देरी हुई है पर हमारा मानना सब दुरस्त हुआ है। न्यायपालिक पर विलंब का दायित्व डालने वाले जरा उस अपराधी को मिले दोहरे दंड के बारे में सोचें। उसने अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ आयु सीमा जेल में तिल तिल कर सड़ते हुए गुजारी। अगर फांसी की सजा माफ होकर आजीवन कारावास में बदलती जो संभवत वह रिहा भी हो जाता। मगर नहीं, 22 साल तक अपने अपराध का बोझ वह कारावास में गुजारता रहा फिर पाई मौत। यह दोहरा दंड है इस पर अफसोस करने वाले नहीं जानते सारी सुविधायें मिल जायें तो भी स्वतंत्रता पूर्वक विचरण में रुकावट आदमी के मन को सबसे ज्यादा त्रास देती है। भारतीय न्याय तथा प्रशासनिक व्यवस्था पर दोष ढूंढने की बजाय उसमें गुण भी ढूंढने चाहिये।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
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