#मित्रतादिवस और #कृष्णसुदामा(#friendshipday,#krishnasudama)#happyfriendshipday


हमारे यहां मित्रता के रूप में हमेशा ही भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा का उदाहरण दिया जाता है। किसी के प्रति मित्रता का भाव हृदय में एक बार स्थित हो जाये तो वह सहजता से विलोपित नहीं होता। इतना ही यह अन्य रिश्तों की तरह इतना गहरा होता है कि दिमाग में किसी का नाम होता है पर मित्र शब्द नहीं होता। जिस तरह माता, पिता, भाई तथा बहिन के नाम दिमाग में कभी बजते हैं पर रिश्ते का स्वर उनमें नहीं होता। कहने का अर्थ है यह है कि संबंध हृदय की गहराई में होते हैं। घरेलू कार्यक्रमों में मित्रों और रिश्तेदारों को हार्दिक रूप से आमंत्रित किया जाता है पर उनके लिये रिश्ते के नाम से अलग कार्यक्रम करने की कोई परंपरा नहीं है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
ग्वालियर (मध्यप्रदेश)
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