#दिल का #सपना जब टूटा-#हिन्दीकविता(#Dil ka #sapna-hindi poem)#heartanddream



सपना देखा था
हमने भी कभी
पूरा नहीं हो पाया।
क्या परवाह है
दिल बहलाते रहे
बरसों तक
खुद ही उकता गये
इतना कि टूटा तब भी
हमारा दिल नहीं रो पाया।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’
ग्वालियर (मध्यप्रदेश)

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